दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्होंने ऐसी स्थिति उत्पन्न की जिसके चलते कार्रवाई करनी पड़ी। जिन परिस्थितियों में दिल्ली पुलिस कार्रवाई करने के लिए बाध्य हुई उसके बारे में न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान एं न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ को जानकारी देते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि मैदान से बाबा रामदेव और उनके अनुयायियों को हटाने के लिए बल और आंसू गैस का इस्तेमाल जायज था।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह ‘दुर्भाग्यपूर्ण एवं दुखद’ था लेकिन उन्होंने रामदेव की ओर इशारा करते हुए पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार था।
उन्होंने न्यायालय को बताया कि पुलिस जब बाबा रामदेव के पास गई और उन्हें रामलीला मैदान में योग शिविर के लिए मिली अनुमति को निरस्त करने की परिस्थितियों के बारे में बताया तो परिस्थितियों की प्रशंसा करने के बजाय वह भागने लगे जिससे भगदड़ मच गई और पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
साल्वे ने न्यायालय को बताया कि भारत स्वाभिमान ट्रस्ट जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने के लिए मैदान में समारोह करने की अनुमति ली थी उसने सूचित नहीं किया कि मैदान में योग शिविर भी चलाया जाएगा।
ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने गत 21 नवंबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस से पूछा था कि उसने पुलिसिया कार्रवाई के लिए पांच जून की सुबह का इंतजार क्यों नहीं किया था।
उल्लेखनीय है कि बाबा रामदेव कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे थे। यहां बड़ी संख्या में उनके समर्थक एकजुट थे।