इस बीच सरकार ने आंदोलनकारियों को 12 से 14 अक्टूबर को प्रस्तावित रेल रोको आंदोलन न करने की चेतावनी है और रेलगाड़ियों परिचालन पूर्ववत करने की बात कही है। मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने चेतावनी दी कि कानून और व्यवस्था में खलल डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके कुछ ही देर बाद पुलिस ने तेलंगाना नेता एम. कोडंडरम को कुछ अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिया।
बताया जाता है कि कोडंडरम और अन्य नेताओं को सिकंदराबाद में उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब बसों का परिचालन रोकने की कोशिश कर रहे थे।
एक दिन पहले ही रविवार को राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया था लेकिन सोमवार को कुछ कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म करने की घोषणा की। राज्य के तेलंगाना क्षेत्र में 21 दिनों से बसें सड़कों से नदारद थीं।
परिवहन मंत्री बोत्सा सत्यनारायन के साथ बातचीत के बाद राष्ट्रीय मजदूर संघ के नेताओं ने क्षेत्र के लोगों को हो रही असुविधा को ध्यान में रखते हुए अपना आंदोलन वापस लेने की घोषणा की। संघ की घोषणा के बाद निगम के प्रबंध निदेशक प्रसाद राव ने कहा कि पुलिस की सुरक्षा में बसें चलाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि बसें दो-तीन दिनों में सभी बसें सड़कों पर लौट आएंगी। उन्होंने अन्य कर्मचारियों से भी अपील की कि वे काम पर लौट आएं।
ज्ञात हो कि 60,000 बस चालकों एवं अन्य कर्मचारियों द्वारा हड़ताल जारी रखे जाने के कारण 10,000 से अधिक सरकारी बसें हैदराबाद और तेलंगाना क्षेत्र के नौ अन्य जिलों की सड़कों से पिछले 22 दिनों से नदारद हैं।
राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के मुताबिक हड़ताल से निगम को प्रतिदिन सात करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। अधिकारी हैदराबाद एवं तेलंगाना के कुछ हिस्सों में 600 बसें ठेके तथा निजी कामगारों की मदद से चला रहे हैं।
उधर, राज्य सरकार के स्वामित्व वाली सिंगरेनी कोलियरी कं. लि. के कर्मचारी पिछले 28 दिनों से हड़ताल पर हैं। सिंगरेनी खदान चार जिलों में फैली हुई है। ये जिले हैं खम्मम, वारंगल, करीमनगर और आदिलाबाद। इन जिलों में स्थित 50 खदानों के कर्मचारी 13 सितम्बर से ही हड़ताल पर हैं।
70,000 कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से कोयला का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। संयंत्रों तक कोयला नहीं पहुंचने का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि पृथक तेलंगाना राज्य के समर्थन में जेएसी ने 11 सितम्बर को जहां महाधरना आयोजित किया था वहीं 12 सितम्बर से तीन दिनों के लिए रेल रोको आंदोलन भी किया था। केंद्र सरकार का कहना है कि उसे इस मसले पर अभी और विचार-विमर्श करना है तथा इसमें अभी थोड़ा समय लग सकता है।