नई दिल्ली ।। भारतीय प्रसारण संघ ने मानहानि के एक मामले में समाचार चैनल ‘टाइम्स नाऊ’ पर 100 करोड़ रुपये के जुर्माने से जुड़े मुम्बई उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप से सर्वोच्च न्यायालय के इंकार को मीडिया उद्योग के लिए नुकसानदेह बताया है।
संघ की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है, “हमारी जानकारी के अनुसार, क्षतिपूर्ति के रूप में जो राशि निर्धारित की गई है, वह मानहानि से जुड़े कानूनों के इतिहास में अब तक नहीं सुना गया है। साथ ही इससे मीडिया की गलती में सुधार के अधिकार पर भी असर पड़ता है।”
मानहानि का यह मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति पी. बी. सावंत ने गाजियाबाद जिला अदालत भविष्य निधि घोटाले में अपनी तस्वीर दिखाए जाने के बाद पुणे की अदालत में दायर किया था। अदालत ने उनके पक्ष में फैसला दिया था। मुम्बई उच्च न्यायालय ने भी सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के हक में फैसला दिया था, जिसे सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा।
संघ की ओर से जारी बयान के अनुसार, “कानूनी परिप्रेक्ष्य में नुकसान की भरपाई के लिए इतनी बड़ी राशि का जुर्माना शायद ही लगाया गया। निचली अदालत का फैसला मीडिया की भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए चिंताजनक हालात पैदा करता है।”
मीडिया की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए संघ ने कहा, “यदि इस तरह के नियम मानक बन जाते हैं तो समाचार चैनलों को हर घटना के लिए निशाना बनाया जाएगा, जिससे समाचार जगत पर असर पड़ेगा।”
बयान के अनुसार, “संघ इस तरह के निर्णयों की समीक्षा एवं इस पर पुनर्विचार किए जाने के पक्ष में है। भूलवश हुई चूक के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे जाने के बावजूद मीडिया को जुर्माना अदा करने के लिए बाध्य करना उसके कामकाज को प्रभावित करेगा।”