जबकि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम की कथित भूमिका पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें चिदम्बरम पर पूरा भरोसा है और केंद्रीय मंत्रिमंडल में किसी तरह के मतभेद नहीं हैं।
न्यूयार्क की अपनी छह दिनों की यात्रा से स्वदेश लौटते हुए प्रधानमंत्री ने अपने विशेष विमान में पत्रकारों के देश और विदेश से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल यदि सहयोग करें तो भारत नौ फीसदी की दर से विकास कर सकता है।
वहीं, मनमोहन सिंह द्वारा यह कहने पर कि विपक्ष सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनकी आलोचना की और चिदम्बरम को मंत्रिमंडल से हटाए जाने की मांग की।
चिदम्बरम में अपना भरोसा जताते हुए प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष अस्थिरता की राजनीति कर रहा है और वह शीघ्र चुनाव के लिए व्यग्र हो रहा है।
मनमोहन सिंह ने पत्रकारों से कहा, “मैंने यह संसद में कहा है कि जनता ने हमें पांच वर्षो का शासन करने के लिए जनादेश दिया है और विपक्ष को ढाई साल इंतजार करना चाहिए।” इस दौरे में प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लिया।
2जी घोटाले में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम की भूमिका को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पत्र के संदर्भ में उठे विवाद पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में उनके मंत्रिमंडल में कोई विभाजन नहीं है।
पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय वित्त मंत्री रहते हुए चिदम्बरम चाहते तो 2जी लाइसेंस की लूट रोक सकते थे। इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद से चिदम्बरम और मुखर्जी में टकराव की खबरें आ रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को इस सिलसिले में दोनों से अलग-अलग मुलाकात की थी।
प्रधानमंत्री ने हालांकि यह स्वीकार किया कि उनकी सरकार को लेकर धारणा बनाने की समस्या हो सकती है और इस संदर्भ में उन्होंने संकेत दिए कि उनकी सरकार इसे सुधारने की इच्छा रखती है।
यह पूछे जाने पर कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के द्वितीय कार्यकाल ने वह साख खो दी है जो उसे उसके पहले कार्यकाल में मिली थी, इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे संदेह है कि कुछ अन्य ताकतें हैं जो हमारी राजनीतिक व्यवस्था को अस्थिर करना चाहती हैं।”
उन्होंने कहा, “जहां तक चिदम्बरम का सवाल है। मैं पहले ही कह चुका हैं उन पर मेरा विश्वास है। जब वह केंद्रीय वित्त मंत्री थे तब पर भी उन पर मेरा विश्वास था और जब वह केंद्रीय गृह मंत्री है तो अभी भी उन पर मेरा विश्वास है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई मतभेद नहीं है और वह एकजुट होकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “जिस मतभेद की आप बात कर रहे हैं वह केवल मीडिया में है। मैं किसी भी मतभेद से अवगत नहीं हूं। मंत्रिमंडल में कोई मतभेद नहीं है।”
वहीं, तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौते के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश के साथ इस मुद्दे का हल निकालने के लिए वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मदद लेंगे। उन्होंने कहा, “इस विवाद का एक सार्थक हल निकालने के लिए मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मदद लूंगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि सभी राजनीति पार्टियां अपने वैचारिक मतभेदों को छोड़ दें तो भारत नौ फीसदी की दर से विकास कर सकता है। उन्होंने कहा कि घोर वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत अपनी क्षमता दिखा चुका है।
उन्होंने कहा, “यदि हमारे देश की सभी राजनीतिक पार्टियां एक साथ मिलकर काम करें तो हम बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।यदि सरकार को अपना आवश्यक लक्ष्य पूरा करने की अनुमति दी जाए तो वह करीब नौ प्रतिशत का विकास दर बरकरार रख सकती है।”
वहीं, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और हक्कानी नेटवर्क की भूमिका के बारे में अमेरिकी शीर्ष सैन्य अधिकारी के बयान पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सैन्य अधिकारी का बयान भारत के लिए नया नहीं है।
पत्रकारों द्वारा अमेरिकी ज्वाइंट चीफ आफ स्टॉफ के चेयरमैन माइक मुलेन के बयान के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा, “इन घृणित गतिविधियों में शामिल होने वाले समूहों के बारे में दुनिया तेजी से सचेत हो रही है और हमें भी इस पर गौर करना होगा।”
ज्ञात हो कि मुलेन ने कहा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अफगानिस्तान में आतंकवादी हमले में हक्कानी नेटवर्क का मदद करती है और दोनों के बीच सम्पर्क हैं।
लीबिया में सुरक्षा की खराब होती स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तरी अफ्रीकी देश में ‘गृह युद्ध’ शुरू होने की आशंका है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “पश्चिमी ताकतें जो कुछ कहती आई हैं उसके बावजूद लीबिया में गृह युद्ध शुरू होने की आशंका है और यह बहुत हद तक सोमालिया के रास्ते पर जाएगा।”
इस बीच, मनमोहन सिंह के इस बयान पर कि विपक्ष सरकार को अस्थिर करना चाहता है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन पर निशाना साधा और ‘2जी घोटाले में केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम की कथित भूमिका के लिए उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने की मांग की।’
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, “प्रधानमंत्री अपने भ्रष्ट मंत्रियों का हमेशा बचाव करते हैं चाहे वह ए. राजा हों अथवा पी. चिदम्बरम।” प्रधानमंत्री के इस बयान की आलोचना करते हुए प्रसाद ने कहा, “2जी घोटाले में चिदम्बरम की भूमिका के लिए उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर निकालना चाहिए।”
इसके पहले भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा, “हम मांग करते हैं कि 2जी घोटाले में चिदम्बरम की भूमिका की जांच का इंतजार किए बगैर प्रधानमंत्री उन्हें तुरंत बर्खास्त करें।”
उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि चिदम्बरम 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला रोक सकते थे।
[एयर इंडिया के विशेष विमान से]