कश्मीर में किसी बड़े मिशन की सुगबुगाहट दिखाई देने लगी है। रमजान में शांति की कोशिश का आतंकवादियों ने मजाक बनाया है उससे केंद्र सरकार और आर्मी दोनों गुस्से में हैं।
ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्यपाल शासन लगाकर सीधे-सीधे युद्ध का ऐलान तो कर ही दिया है लेकिन सब यह जानने के लिए बेकरार है कि ‘ऑल आउट पार्ट 2’ के नायक कौन होंगे।
आइए डालते हैं एक नजर।
राज्यपाल एनएन वोहरा:
वोहरा पूर्व आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। वह वर्तमान समय में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल है। इससे पहले उन्होंने गृह सचिव, डिफेंस सचिव और डिफेंस प्रोडक्शन सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। इस समय जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर वह इतने महत्वपूर्ण हैं कि केंद्र सरकार राज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल को और बढ़ाने वाली है।
वोहरा पहले भी कई बार सीमावर्ती गांवों में सरकार की मजबूत पकड़ को लेकर बात कहते रहे हैं। वोहरा के मुताबिक सीमा की सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी आतंरिक मजबूती है और अब वह इस दिशा में काम करेंगे।
के विजय कुमार
तमिलनाडू कैडर के 1975 बैच के आईपीएस अधिकारी के विजय कुमार अपने तेज रर्रार रवैये और दुश्मन के खत्म करने की अचूक रणनीति के लिए जाने जाते हैं। इसकी उपलब्धियों में सबसे अहम विरप्पन को उसके आखिरी अंजाम तक पहुंचाने वाली टीम का हिस्सा होना है।
इनका इतिहास रहा है कि जहां जहां आतंकी या नक्सली से बदला लेने की योजना सरकार ने बनाई वहां इस निडर ऑफिसर का तबादला कर दिया गया। 2010 में भी दंतेवाडा में 75 जवानों की हत्या का बदला लेने के समय इनको सीआरपीएफ का डायरेक्टर जनरल बनाकर भेजा गया।
बी बी व्यास
बीबी व्यास भी पूर्व आईएएस अफसर रह चुके हैं। इन्हें राज्यपाल एनएन वोहर का बहुत करीबी माना जाता है। व्यास अपने फास्ट एक्शन के लिए आईएएस लॉबी में बहुत फेमस हैं।
इन्हीं कारण से राज्य के मुख्य सचिव रहने के दौरान उन्हें एक साल का एक्सटेंड दिया गया था। अब वह राज्यपाल के सलाहकार के तौर पर काम करेंगे।
सेना प्रमुख बिपिन रावत
बिपिन रावत अब तक के सबसे तेज रर्रार सेना प्रमुखों में से एक हैं। जिस तरह से बिपिन मीडिया में आकर अपने मंसूबे बयां करते हैं और कश्मीर मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं उससे साफ हो जाता है कि अगर इन्हें छूट दे दी जाए तो वह आतंकवादियों का क्या हाल करेंगे।
अब जब राज्य सरकार डिजॉल्व हो चुकी है तो सेना ज्यादा मुस्तैदी से अपने प्लान के हिसाब से अपने ऑपरेशन को अंजाम दे पाएगी, इतना ही नहीं अब पुलिस को भी सेना का साथ देने के लिए मजबूर होना होगा।
बीवीआर सुब्रमण्यम
छत्तीसगढ कैडर के इस आईएएस अधिकारी को जम्मू कश्मीर राज्य का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है। यह काम एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। इससे पहले सुब्रमण्यम छत्तीसगढ़ के गृह सचिव के पद पर थे। इन्हें आतंरिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय का विशेषज्ञ माना जाता है।
कश्मीर में आतंकवाद जैसी समस्या का समाधान करने के लिए राज्यपाल एनएन वोहरा इसी आतंरिक सुरक्षा पर जोर देने की बात कहते रहे हैं। ऐसे में सुब्रमण्यम का यहां आना साफ संकेत दे रहा है कि अब राज्यपाल आमने सामने की लड़ाई छेड़ने वाले हैं। सुब्रमण्यम मनमोहन सिंह और नरेद्र मोदी दोनों के साथ पीएमओ में रह चुके हैं।
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