पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते कितने ही ख़राब क्यों न चल रहे हो लेकिन पाकिस्तान कोई ऐसा रास्ता नहीं छोड़ता जहाँ से उसको फायदा न पहुंचे | करतापुर कॉरिडोर के बाद पाकिस्तान ने सोमवार को हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए शारदा मंदिर कॉरिडोर खोलने को हरी झंडी दिखा दी है |
इसका एक कारण यह भी हो सकता है की शायद पाकिस्तान अपने टूरिज्म को बढ़ाना चाहता है जिससे वहां की अर्थव्यवस्था ठीक हो जाये |
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले ही कॉरिडोर को खोलने के प्रस्ताव को भेज दिया है. सरकार के कुछ अधिकारी इस क्षेत्र का दौरा करेंगे और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपेंगे|
शारदा मंदिर को हिंदुओं के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है | यह मंदिर 5000 वर्ष पुराना है | मंदिर के नजदीक मादोमती नाम का एक तालाब है| इस तालाब का पानी बहुत ही पवित्र माना जाता है|
धार्मिक और राजनीतिक नजरिए से अहम शारदा पीठ LoC के नजदीक शारदा गांव में स्थित है| शारदा पीठ मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ मंदिर समेत जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख मंदिरों में से एक था | भारत-पाकिस्तान के बीच 1947-48 के युद्ध के बाद यह मंदिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आ गया |
मां शारदा को कश्मीरी पंडित अपनी कुलदेवी मानते हैं| उन्हें कश्मीर पुरावासिनी (कश्मीर में बसने वाली) भी कहा जाता है| शारदा पीठ कभी वैदिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा था और इसकी तुलना नालंदा-तक्षशिला जैसे शिक्षा केंद्रों से की जाती थी| 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद से यह मंदिर निर्जन इलाके में तब्दील हो गया |
श्रद्धालुओं की कमी के बावजूद शारदा मंदिर आज भी वैसे ही खड़ा है | कुछ विवरणों के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण कुषाण शासन में किया गया था | जबकि कुछ विवरणों के मुताबिक, इस इलाके में बौद्धों की सक्रियता भी थी, हालांकि शोधकर्ताओं को इसके साक्ष्य नहीं मिलते हैं| यह मंदिर निर्माणशैली में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में स्थित मार्तंड मंदिर से मिलता-जुलता है|