Hindi7.com ।। एक नवजात के सेहत की देखभाल करना अपने आप में किसी कठिन चुनौती से कम नहीं होता, लेकिन हर मां इसे बिना किसी अफसोस और शिकायत के करती हैं। कितना प्यारा और अटूट बंधन है न? मां और शिशु के बीच का। बहरहाल, मां और शिशु दोनों ही एक-दूसरे की परेशानी और भावनाओं को बड़ी आसानी से समझ लेते हैं। ऐसे में जब कभी बच्चे को कोई बीमारी व तकलीफ होती है, तो मां को इसका अंदाजा हो जाता है। आज हम बात करेंगे कि जब आपके नवजात को कोई बीमारी आकर घेर ले, तो उसकी देखभाल कैसे करें।

जब आपके शिशु को पेट दर्द हो — ऐसा होने पर अपने शिशु के पेट को अपने गर्म हथेलियों से सेंक दें। शिशु की नाभि के चारों ओर हींग का लेप लगाये, इससे भी आराम मिलता है।

अगर शिशु बिस्तर में पेशाब करता हो — एक कप ठण्डे फीके दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम चालिस दिनों तक पिलाइए और तिल-गुड़ का एक लड्डू रोज खाने को दीजिए। अपने शिशु को लड्डू चबा-चबाकर खाने के लिए कहिए और फिर शहद वाला एक कप दूध पीने के लिए दें। बच्चे को खाने के लिए लड्डू सुबह के समय दें। इस लड्डू के सेवन से कोई नुकसान नहीं होता। अत: आप जब तक चाहें इसका सेवन करा सकते हैं।

जब कान में दर्द हो — अगर ऐसा हो, तो बच्चे की मां अपने दूध की दो-दो बूंद उसकी कानों में टपका दें। इससे उसके कान का दर्द खत्म हो जाएगा।

जब पेट में कीड़े हो जाएं — संतरे के छिलके को सूखाकर और पीसकर महीन चूर्ण तैयार कर लें। वायविडंग का भी चूर्ण बना लें। दोनों को बराबर मात्रा में मिला लें। अब इसे आधा चम्मच गर्म पानी के साथ बच्चे को दिन में एक बार तीन दिन तक पीलाएं। चौथे दिन एक चम्मच केस्टर ऑइल दूध में डालकर पिला दें। गुद्दा द्वार से मरे हुए कीड़े बाहर आ जाएंगे।

जब बच्चे के गुद्दा में कीड़ा हो जाएं — कई बार शिशु के गुद्दा में कीड़े हो जाते हैं। जब यह कीड़े काटते हैं, तो बच्चे को तकलीफ होती है और वह रोने लगता है। जब कभी लगे कि आपके बच्चे को इसकी शिकायत है, तो किरोसिन में जरा-सी रूई डुबोकर शिशु के गुद्दा में लगा दें। इससे कीड़े मर जाते हैं।

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