येचुरी ने स्टेनफोर्ड सेंटर फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट में कहा, “कोई भी व्यक्ति सुधार विरोधी नहीं हो सकता, लेकिन इस बात की व्याख्या करना महत्वपूर्ण है कि सुधार का असली अर्थ क्या होता है, क्योंकि सामान्य न्याय और प्रगति उस पर निर्भर होती है।”
येचुरी, भारतीय आर्थिक नीति सुधार पर आयोजित 12वें वार्षिक सम्मेलन में ‘आर्थिक सुधारों के साथ भारत के अनुभव’ विषय पर बोल रहे थे।
येचुरी ने कहा, “हम सुधारों में बाधा डालने वालों में नहीं हैं। हम सिर्फ यह आग्रह कर रहे हैं कि सुधारों पर उपरोक्त मुद्दों के दायरे में विचार करना होगा।”
येचुरी ने कहा कि भारत में वामपंथ को उचित श्रेय दिए जाने की जरूरत है। कम्युनिस्टों ने जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को समर्थन दिया था, येचुरी ने उस समय का जिक्र करते हुए कहा, “यदि वैश्विक मंदी भारत को कुछ खास प्रभावित नहीं कर पाई, तो यह कम्युनिष्टों द्वारा अपनाए गए रुख के कारण हुआ।”
येचुरी ने कहा, “वाम ने भारतीय रुपये के पूर्ण विनिमयता का, बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने का, बैंकों और पेंशन निधि के निजीकरण का विरोध किया था। परिणामस्वरूप भारत मंदी से निपटने में सफल हुआ था।”