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विभाजन के प्रस्ताव पर गरमाई उत्तर प्रदेश की राजनीति

नई दिल्ली/लखनऊ ।। उत्तर प्रदेश के चार हिस्सों में विभाजन के मायावती सरकार के प्रस्ताव ने राज्य की राजनीति को नए सिरे से गर्मा दिया है। प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव को आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया राजनीतिक हथकंडा करार किया।

सपा ने इस प्रस्ताव का विरोध करने का एलान किया है तो कांग्रेस ने राज्य के प्रस्तावित विभाजन को एक संवेदनशील मुद्दा बताया और कहा कि इस पर निर्णय केवल विस्तृत चर्चा के बाद ही लिया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि यह घोषणा सिर्फ ‘चुनाव के समय लोगों को मूर्ख बनाने’ के लिए है।

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य के विभाजन का विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि मायावती चुनावों में हार की डर से इस तरह की घोषणाएं कर रही हैं।

मुलायम ने कहा कि मायावती भ्रष्टाचार एवं अपनी असफलताओं से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही हैं।

कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी ने नई दिल्ली में कहा कि पार्टी सिर्फ चुनावी लाभ को देखकर लिए गए निर्णय को स्वीकार नहीं करेगी।

केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री आर.पी.एन. सिंह ने भी विभाजन को चुनावी हथकंडा बताया और कहा, “राज्य को विभाजित करने जैसा बड़ा निर्णय कोई एक राजनीतिक दल नहीं कर सकता। इसके लिए राजनीतिक सहमति एवं संसद की अनुमति चाहिए।”

भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने पत्रकारों से कहा कि अपनी सरकार के साढ़े चार वर्ष बीतने के बाद मायावती को राज्य को विभाजित करने की बात याद कैसे आ गई?

मायावती पर आरोप लगाते हुए हुसैन ने कहा, “चुनाव आ गए हैं और साढ़े चार वर्ष बीतने के बाद मायावती को अगड़ी जातियों की याद आ गई। उन्हें राज्य के विभाजन की भी बात याद आ गई।”

सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह यादव कुशीनगर में पत्रकारों से कहा, “राज्य के विभाजन से विकास सम्बंधी किसी भी उद्देश्य का समाधान नहीं होगा।”

सपा के पूर्व नेता एवं राष्ट्रीय लोक मंच के प्रमुख अमर सिंह ने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि सपा विभाजन का विरोध क्यों कर रही है।

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