Home देश भ्रष्टाचार पर रमेश व मायावती आमने-सामने

भ्रष्टाचार पर रमेश व मायावती आमने-सामने

नई दिल्ली/लखनऊ ।। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर शाब्दिक प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि वह ग्रामीणों के रोजगार के लिए किए जा रहे कार्यो में अनियमितता बरत रही हैं।

रमेश ने एक समाचार चैनल से कहा, “उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री को लिखा मेरा पत्र राजनीति से प्रेरित नहीं है। यह राज्य के सात जिलों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) लागू करने में हुई अनियमितता पर राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय रिपोर्टो पर आधारित है।”

रमेश ने सोमवार को मायावती से पूछा था, “राज्य में मनरेगा लागू करने के लिए प्रति वर्ष 5,000 करोड़ रुपये दिए गए जिसमें गड़बड़ी की जांच के लिए क्यों न केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश दिया जाए।”

वहीं दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के धन का उपयोग खिलौने, टेंट और कैलेंडर खरीदने में किया गया।”

उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री ने विकास को नजरअंदाज किया है। वह गलत फैसलों का समर्थन करती हैं और भ्रष्टाचार को प्रश्रय देती हैं। उत्तर प्रदेश में नौकरशाही का जितना मनोबल गिरा है, उतना किसी अन्य राज्य में नहीं।”

रमेश के आरोपों का जिक्र करते हुए सिंघवी ने कहा कि मायावती ‘जनभावनाओं से खेल रही हैं और समय आ रहा है जब कुछ महीनों में उन्हें इन आरोपों के जवाब देने होंगे’।

सिंघवी ने कहा कि मंत्री के पत्र में मनरेगा के धने का दुरुपयोग का ब्योरा है जो हमारे आरोपों को साबित करता है।

इस बीच, मायावती ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर रमेश के खिलाफ शिकायत की।

उन्होंने कहा, “पत्र से जाहिर है कि ग्रामीण विकास मंत्री को भारतीय संविधान में संघीय व्यवस्था के तहत वित्तीय अधिकारों की जानकारी का अभाव है।”

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा भेजा गया पत्र हमारे पास भेजने से पहले मीडिया में जारी कर दिया गया। इससे यह साफ है कि यह कदम राजनीति से प्रेरित है।”

सिंह ने कहा, “मुख्यमंत्री का कहना है कि मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर केंद्रीय मंत्री द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद तथा तथ्यों से परे हैं। पिछले तीन वर्षो में मनरेगा लागू करने में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से काफी आगे रहा है..इस तथ्य की जानकारी भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर भी प्राप्त की जा सकती है।” उन्होंने कहा कि न्यूनतम मजदूरी तय करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है।

सिंह के मुताबिक पत्र में मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने चित्रकूट स्थित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से वार्ता करके तथा केवल सात जनपदों से आईं कुछ शिकायतों के आधार पर पूरे प्रदेश के विषय में गलत धारणा बना ली है। शायद उन्हें स्मरण नहीं है कि अब उत्तर प्रदेश में 75 जनपद हैं।

उन्होंने कहा, “ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा लिखे पत्र में मनरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर कोई विशेष बात न कहकर एक सामान्य बात की गई है। प्रदेश में मनरेगा से सम्बंधित जहां भी शिकायतें आई हैं वहां पर राज्य सरकार ने प्रभावी कार्रवाई की है। इसलिए सीबीआई से जांच का सवाल ही नहीं उठता।”

उन्होंने पत्र में केंद्रीय मंत्री द्वारा मनरेगा के लिए राज्य सरकार के बजट को रोकने की बात कहे जाने का उल्लेख भी किया।

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