राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य के कुछ हिस्सों से एएफएसपीए हटाने की मांग पर चर्चा के लिए 17 नवम्बर को एक बैठक बुलाई है। इस बैठक से चार दिन पहले उमर और एंटनी के बीच यह मुलाकात हुई।
सूत्रों ने बताया कि कृष्णा मेनन मार्ग स्थित एंटनी के आधिकारिक आवास पर दोनों नेताओं ने करीब एक घंटे तक बैठक की लेकिन बातचीत का ब्योरा उपलब्ध नहीं हो सका।
एंटनी कह चुके हैं कि उमर की अध्यक्षता वाली राज्य की एकीकृत कमान कोर समिति एवं इसमें शामिल भारतीय सेना की 15वीं एवं 16वीं कोर के कमांडर एवं राज्य की पुलिस एएफएसपीए हटाने के बारे में फैसला लेने के लिए अधिकृत हैं। एंटनी के इस बयान के बाद यह बैठक हुई है।
एंटनी ने कुछ दिनों पहले कहा कि रक्षा मंत्रालय इस मसले पर अपनी राय पहले ही सरकार को दे चुका है। रक्षा मंत्री का यह बयान उमर द्वारा यह कहने के बाद आया कि राज्य का मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें एएफएसपीए हटाने जाने से सम्बंधित निर्णय लेने का अधिकार है।
इस बीच, जम्मू में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य के कुछ हिस्सों से एएफएसपीए हटाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्य मंत्रिमंडल 17 नवंबर को बैठक करेगा।
सेना ने राज्य से एएफएसपीए को आंशिक रूप से भी हटाए जाने का विरोध किया है। सेना ने कहा है कि इससे राज्य में आतंकवादियों और उनके नेटवर्क के खिलाफ सेना का अभियान प्रभावित होगा।
अब्दुल्ला ने हालांकि संकेत दिया कि वह राज्य के कम से कम चार जिलों से एएफएसपीए को हटाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। ये चार जिले हैं- कश्मीर घाटी में श्रीनगर व बड़गाम, तथा जम्मू क्षेत्र में जम्मू एवं साम्बा।
एक समाचार चैनल को हाल ही में दिए साक्षात्कार में अब्दुल्ला ने कहा था कि इन इलाकों में लम्बे समय से सेना की कोई सक्रियता नहीं रही, लिहाजा वहां एएफएसपीए को बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इस मुद्दे पर मौजूदा बहस तब से शुरू हुई, जब मुख्यमंत्री ने 21 अक्टूबर को श्रीनगर में घोषणा की थी कि कुछ ही दिनों के भीतर राज्य के कुछ इलाकों से एएफएसपीए हटा लिया जाएगा।
एएफएसपीए कश्मीर घाटी में 1990 जबकि जम्मू क्षेत्र में 2001 से लागू है। यह कानून सशस्त्र बलों को व्यापक अधिकार प्रदान करता है।