ममता बनर्जी भारतीय राजनीति की एक जूझारू महिला मानी जाती है। ममता ने बंगाल में 34 वर्ष पूुराने वामपंथ के किले को तोड़ दिया। जब-जब देश में महिला राजनेताओं की चर्चा होती है तो ममता का स्थान ऊपर ही आता है। आइए जानते हैं ममता बनर्जी से जुड़े वो तथ्य जो आप को जानने चाहिए।
ममता बनर्जी का अबतक का जीवन।
5 जनवरी 1955 को कोलकाता में जन्म लेने वाली ममता बनर्जी ने भारतीय राजनीति को बदल कर रख दिया है। ममता बनर्जी पहली ऐसी महिला मंत्री मानी जाती है जिसने बिना किसी राजनीतिक परिवार और किसी गॉड फादर के राजनीति में अपने आप को ना सिर्फ स्थापित किया बल्कि कई नये रिकॉड कायम भी किये ।
· ममता बनर्जी के पिता ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था।
· जब ममता काफी कम उम्र की थी तब ही उनके पिता का देहांत हो गया था। बाद में अपने जीवन को चलाने के लिये ममता ने दूध बेचने का काम किया था।
· ममता बनर्जी का राजनीति की तरफ पहले से ही रूझान रहा था। कहा जाता है कि ममता ने 15 वर्ष की उम्र में ही कांग्रेस पार्टी की राजनीति में कदम रख दिया था।
· ममता बनर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय से कई विषयों का अध्यन किया है।
· कोलकाता में ममता बनर्जी ने 1976 से 1980 तक कांग्रेस महासचिव के पद को संभाला।
· 1984 के चुनाव में ममता बनर्जी ने राजनीति में बड़ी सफलता प्राप्त की उन्होने इंदिरा के हत्या के बाद के लहर में माकपा के वरिष्ठ नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर लोकसभा क्षेत्र से पराजित कर दिया।
· 1989 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी को हार का सामना करना पड़ा।
· 1991 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने एक बार फिर कोलकाता दक्षिण संसदीय सीट से जीत दर्ज की।
· ममता बनर्जी बाद में लगातार जीतती रही। ममता ने 1996,1998,1999 और 2004 की लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज किया।
· 1991 में नरसिंह राव की सरकार में 36 वर्ष के ममता बनर्जी को मंत्री बनाया गया। ममता बनर्जी मानव संसाधन विकास और महिला कल्याण राज्य मंत्री बनाई गयी।
· 1993 आते-आते ममता ने अपने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
· ममता बनर्जी का 1993 के बाद कांग्रेस पार्टी में मन नहीं लगने लगा। 1996-1997 आते-आते ममता ने अपना रास्ता कांग्रेस से अलग कर लिया। ममता ने कांग्रेस पर माकपा का भी टीम होने का आरोप लगाया।
· 1997 में ममता ने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस का गठन किया।
· 1999 में ममता बनर्जी की पार्टी एन डी ए का हिस्सा बन गयी।
· 1998 के चुनाव में TMC को आठ लोकसभा सीटों पर जीत मिली।
· 1999 के चुनाव के बाद ममता बनर्जी को केंद्र में रेलमत्री बनाया गया।
· 2002 में महंगाई को मुद्दा बनाकर ममता बनर्जी ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया हलांकि बाद में एक बार फिर 2004 के करीब उन्होने एनडीए में वापसी कर ली।
· 2004 के लोकसभा चुनाव में TMC को जबर्दस्त हार का सामना करना पड़ा। सिर्फ एक सीट पर स्वयं ममता बनर्जी चुनाव जीत कर सांसद पहुंच सकी।
· 2006 के बंगाल विधानसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। उनके पार्टी के लगभग आधे विधायक चुनाव हार गये।
· 2006 का अंत होते-होते ममता बनर्जी की राजनीति बदलने वाली घटना बंगाल में होने लगी।
· सिंगूर विवाद 2006 में बंगाल सरकार ने टाटा मोटर्स के साथ समझौता कर के टाटा के नेनो कार की यूनिट सिंगूर नामक जगह पर लगाने की योजना तैयार की। ममता ने जमीन अधिग्रहण के सरकार के फैसले का जमकर विरोध किया। परिणामस्वरूप ममता बनर्जी की देश भर में चर्चा हुई। ममता ने इस मुद्दे पर जमकर राजनीति की और पूरे राज्य में अपनी पकड़ को मजबूत बनाया।
· 2009 के चुनाव में ममता बनर्जी ने कांग्रेस के साथ समझौता कर के चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी को कुल 26 लोकसभा सीटों पर जीत प्राप्त हुई।
· 2009 में एक बार फिर ममता बनर्जी को देश का रेलमंत्री बनाया गया।
· 2011 के लोकसभा चुनाव में ममता ने इतिहास रच दिया। 34 वर्ष पूरानी वाममोर्चा सरकार को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और ममता बनर्जी की पार्टी के गठबंधन के सामने हार का सामना करना पड़ा।
· 2012 में ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।
· 2014 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने अकेले दम पर जबर्दस्त सफलता प्राप्त की।
· 2016 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से ममता का जलवा चला और उनकी पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया।
ममता बनर्जी से जुड़े विवाद
ममता बनर्जी की छवि एक लड़ाकू नेता की मानी जाती है। ममता बनर्जी को हमेशा विवादों का सामना करता रहना पड़ा है।
· माकपा की सरकार के विरूद्ध ममता बनर्जी ने कई छोटे बड़े आंदोलन किये जिसमें कई बार भीड़ हिंसक हो जाया करती थी।
· 2006 में सिंगूर में किये गये उनके आंदोलन के बाद उन्हें विकास और उद्योग धंधों का विरोधी बताया गया। हलांकि चुनावों में उन्हें इन सब का लाभ प्राप्त हुआ।
· 2014 के बाद केंद्र की बीजेपी सरकार से उनके रिश्ते हमेशा खराब रहे। ममता बनर्जी के ऊपर किसी एक संप्रदाय को अधिक सुविधा देने का आरोप लगता रहा।