रांची ।। झारखण्ड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के प्रमुख घटकों में दरार पड़ती दिख रही है। प्रमुख घटक झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और अखिल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के विधायक अपनी उपेक्षा से नाराज हो कर समर्थन वापसी तक की बात कर रहे हैं।
विधायकों ने मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार सार्वजनिक रूप से किया है।
झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन सबसे ज्यादा असंतुष्ट हैं। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक नई दिल्ली में वह कांग्रेस के नेताओं के सम्पर्क में भी हैं।
असंतोष को देखते हुए शिबू सोरेन ने पार्टी के केंद्रीय समिति की बैठक का आयोजन सोमवार को किया था।
नाम जाहिर न करने की शर्त पर झामुमो के एक नेता ने आईएएनएस को बताया, “यह सही है कि आधे से ज्यादा विधायक भाजपा नीत सरकार के समर्थन का विरोध कर रहे हैं। विधायक बोर्ड और निगमों का पद दिए जाने से खुश नहीं हैं।”
विधायकों के गुस्से को शांत करने की कोशिश की जा रही है।
झामुमो के सूत्रों के अनुसार सीता सोरेन को झारखण्ड खान एवं खनिज विकास निगम के अध्यक्ष पद का प्रस्ताव दिया गया लेकिन उन्हें मंत्री से कम कुछ भी मंजूर नहीं था।
स्वास्थ्य मंत्री और झामुमो नेता हेमलाल मुर्मू ने कहा, “हम सीता की नाराजगी को दूर करने की कोशिश करेंगे।”
आजसू के विधायक कमल किशोर भगत ने कहा, “मेरा विधानसभा क्षेत्र नक्सल प्रभावित जिलों में से एक है। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद भी कोई विकास कार्य नहीं हो रहा है।”
कांग्रेस के नेता और झारखण्ड के पार्टी प्रभारी शकील अहमद ने कहा, “पहले झामुमो को भाजपा के साथ सम्बंध तोड़ लेने दें। हम राज्य में अभी चुनाव नहीं चाहते हैं।”
माना जा रहा है कि कांग्रेस, झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का मन बना रही है।
गौरतलब है कि झारखण्ड के 81 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा, झामुमो और एजेएसयू के पास क्रमश: 18, 17 और पांच विधायक हैं।