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बिहार में प्रमाणपत्रों के लिए अब ऑनलाइन आवेदन

पटना ।। बिहार में जाति, आवासीय और आय प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अब आपको सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। लोग घर बैठे ही एक दिसम्बर से ऑनलाइन इन आवेदनों को कार्यालयों में भेज सकते हैं।

बिहार में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सरकार द्वारा लोगों को तोहफे में दिए गए ‘राइट टू सर्विस एक्ट’ (लोक सेवा का अधिकार कानून) में अब तकनीक का इस्तेमाल कर सुविधाएं बढ़ा दी गई हैं। 

राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य सेवा के लिए लम्बी अवधि के इंतजार से लोगों को राहत दिलाना है। बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के मुताबिक इस अधिनियम में तत्काल सेवा का प्रावधान किया गया है। वह हालांकि मानते हैं कि इसके लिए अपेक्षित आधारभूत संरचना उपलब्ध नहीं है, परंतु ऑनलाइन सेवा प्रारम्भ होने के बाद इन कमियों को भी दूर किया जा रहा है। 

सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार कहते हैं कि सरकार के पास अब प्रमाणपत्रों का रिकार्ड रहेगा तथा चार अंकों के वेरीफिकेशन कोड डालकर आवेदनों की नवीनतम जानकारी कभी भी ली जा सकेगी। उन्होंने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग, सेना या अन्य किसी भी परीक्षा में किसी भी व्यक्ति का वेरीफिकेशन इसके जरिए ऑनलाइन किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि एक बार आवेदन करने वाला व्यक्ति दूसरी बार आवेदन नहीं कर सकता है। 

उन्होंने बताया कि 31 नवम्बर तक सेवा के अधिकार के तहत राज्यभर में कुल 55,22,636 आवेदन आ चुके हैं जिसमें से 40 लाख केवल जाति, आवासीय और आय प्रमाणपत्रों से सम्बंधित हैं। इसी वजह से केवल इन्हीं आवेदनों के लिए एक दिसम्बर से ऑनलाइन सुविधा दी गई है।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस कानून के लागू होने से कार्यप्रणाली में पूरी तरह सुधार आ गया है। उन्होंने कहा कि जिलों से इस कानून के तहत कार्य न होने की सैकड़ों शिकायतें मिली हैं, जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि समय-समय पर प्रखंड कार्यालयों या अन्य कार्यालयों में भी मध्यस्थों की गिरफ्तारी की जा रही है। 

देश भर में भ्रष्टाचार मिटाने के लिए आंदोलन और चर्चाओं का दौर जारी है। वहीं बिहार में इस अधिनियम की सहायता से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्रयास किया जा रहा है। 

मिशन के निदेशक दीपक कुमार कहते हैं कि तत्काल सेवा को लागू करने का प्रावधान सेवा के अधिकार अधिनियम में है। एक अनुमान के मुताबिक इन सेवाओं के सही ढंग से लागू होने के बाद राज्य में प्रतिवर्ष 200 करोड़ रुपये की घूसखोरी पर लगाम लगेगा। 

कुमार बताते हैं कि इस सेवा से मध्यम वर्ग के लोगों को काफी राहत मिल रही है जो नौकरशाही की चक्की में पिस रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन स्थानों पर अधिनियम को लागू किया गया है, उसका आकलन किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि इस अधिनियम के प्रथम चरण के तहत 10 विभागों की 50 सेवाएं लाई गई हैं। 

एक अन्य अधिकारी के अनुसार इस सेवा के लिए आवेदन करने के बाद एक पावती रसीद दी जा रही है। इस रसीद पर आवेदन पत्र संख्या भी अंकित है। इसकी प्रगति की रिपोर्ट एसएमएस के जरिए लोगों को दी जा रही है। इससे लोगों को कार्यालय के चक्कर लगाने से निजात मिल रही है। 

इस अधिनियम में सेवा के लिए सात से 30 दिन का समय नियत किया गया है। प्रावधान के मुताबिक नियत समय पर सेवा नहीं मिलने पर अधिकारी की शिकायत की जा सकती है। अधिकारी के दोषी पाए जाने पर प्रतिदिन के हिसाब से 250 रुपये और अधिकतम 5,000 रुपये की राशि उससे वसूली जाएगी। राज्य में इस सेवा के क्रियान्वयन के लिए 1,948 अधिकारियों और कर्मचारियों का दल लगाया गया है।

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