नईदिल्ली, Hindi7.com ।। केदारनाथ, भोलेशंकर को मानने वाले सभी हिन्दुओं का न केवल तीर्थ स्थान है बल्कि अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण पर्यटन स्थाल भी है।
भारतीय राज्य उत्तराखण्ड में स्थित केदारनाथ अपने मूल में हिमालय पर्वत श्रृखंला में बसा एक कस्बा है। यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और उत्तराखंड के चार धाम और पाँच केदार में गिना जाता है।
श्री केदार नाथ का मंदिर 3593 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक भव्य एवं विशाल मंदिर है। इतनी ऊंचाई पर इस मंदिर को कैसे बनाया गया, इस बारे में आज भी कोई नहीं जानता।
केदारनाथ के बारे में :
हाँ, इसके नामकरण के बारे में लोगों का ऐसा मानना है कि सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा। राजा केदार ने सात महाद्वीपों पर शासन किया। वे एक बहुत अच्छे राजा थे। उनकी पुत्री वृंदा को लक्ष्मी का एक अवतार समझा जाता है। वृंदा ने 60,000 वर्षों तक तपस्या की अतः उन्हीं के नाम पर ही इस स्थान को वृंदावन भी कहा जाता है।
अगर आप इस पवित्र स्थान पर जाने की सोच रहे हैं तो हम आपको रास्ता बताते है। यहाँ तक पहुँचने के दो प्रमुख रास्ते हैं। पहला 14 किमी लंबा पक्का पैदल मार्ग है, जो ऋषिकेश से जुड़ा हुआ है।
दूसरा है, हवाई मार्ग, हाल ही में राज्य सरकार द्वारा अगस्त्यमुनि और फाटा से केदारनाथ के लिये पवन हंस नाम से हेलीकॉप्टर सेवा आरंभ की है। इनका किराया उचित है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद कर दिया जाता है और केदारनाथ में कोई नहीं रुकता। नवंबर से अप्रैल तक के छह महीनों के दौरान भगवान केदारनाथ की पालकी गुप्तकाशी के निकट उखिमठ नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दी जाती है। यहाँ के लोग भी केदारनाथ से आसपास के गावों में रहने के लिये चले जाते हैं।
यहां स्थापित प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ केदारनाथ मंदिर बहुत प्राचीन है। कहते हैं कि भारत की चार दिशाओं में चार धाम स्थापित करने के बाद जगद्गुरू शंकराचार्य ने 32 वर्ष की आयु में यहीं श्री केदारनाथ धाम में समाधि ली थी। जगद्गुरू शंकराचार्य ने यह मंदिर बनवाया था। यहां एक झील भी है, जिसमें बर्फ तैरती रहती है।
इस झील के बारे में प्रचलित है इसी झील से पांडव, युधिष्ठिर स्वर्ग गये थे। श्री केदारनाथ धाम से छह किलोमीटर की दूरी चौखम्बा पर्वत पर ठंडे पानी का वासुकी ताल है। यहां ब्रह्म कमल काफी होते हैं। यहाँ गौरी कुण्ड, सोन प्रयाग, त्रिजुगीनारायण, गुप्तकाशी, उखीमठ, अगस्त्यमुनि, पंच केदार आदि दर्शनीय स्थल हैं।
केदारनाथ आने के लिए कोटद्वार जो कि केदारनाथ से 260 किलोमीटर तथा ऋषिकेश जो कि केदारनाथ से 229 किलोमीटर दूर है तक रेल द्वारा आया जा सकता है। सड़क मार्ग द्वारा गौरीकुण्ड तक जाया जा सकता है जो कि केदारनाथ मंदिर से 14 किलोमीटर पहले है।
यहाँ से पैदल मार्ग या खच्चर तथा पालकी से भी केदारनाथ जाया जा सकता है। नजदीकी हवाई अड्डा जौली ग्रांट 286 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां से केदारनाथ के लिए हवाई सेवा हाल ही में शुरू हुई है।