दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए उनकी हर क्षेत्र में स्थापित उपलब्धियों को याद किया जाता है। हर साल 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे कारण क्या है और कैसे हुई इसकी शुरूआत। चलिए आपको बताते हैं कि क्यों 8 मार्च को ही मनाया जाता है महिला दिवस?
कहा जाता है कि सबसे पहला महिला दिवस अमेरिका के न्यूयॉर्क में 1909 में मनाया गया था। जिस का आह्वाहन अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने किया था। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय दर्जा हासिल हुआ। इस सम्मेलन में 17 देशों की 100 महिला प्रतिनिधि हिस्सा लेने पहुंची थी। इसके बाद 1911 में 19 मार्च को कई देशों ने इस दिन को मनाया। लेकिन इसे आधिकारिक दर्जा मिला प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यानि 1917 में
1917 में हुई अधिकारिक घोषणा
इतिहास की माने तो 1917 में रूस की महिलाओं ने एक आंदोलन छेड़ दिया। महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया। ये हड़ताल भी इतनी असरदार रही कि ज़ार ने सत्ता छोड़ी और महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला। कहा जाता है कि उन दिनों रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था जबकि बाकि दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अन्तर होता है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी इतवार 23 फ़रवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। यही कारण था कि हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की अधिकारिक घोषणा कर दी गई।